परमार्थ निकेतन में मानस कथा का समापन

ऋषिकेश ( उत्तराखंड)। परमार्थ निकेतन गंगा तट पर राष्ट्र, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा का शुक्रवार को समापन हो गया। कथा के मंच से वैश्विक स्तर पर व्याप्त समस्याओं के प्रति जागरूकता एवं समाधान के संदेश भी प्रसारित किए गए।
विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने युवाओं को रक्त दान करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होनेे कहा कि रक्तदान महादान है। रक्तदान करके हम कई जिदंगियाँ बचा सकते हैं। रक्तदान के लिये रक्त के साथ संवेदनशील हृदय होना नितांत आवश्यक है। शोध के आधार पर रक्तदान से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है, खून में कोलेस्ट्राॅल जमा नहीं होता है।
कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति माँ गंगा के तट से श्रेष्ठ संकल्प लेकर जायें, जिससे बाहर और भीतर का पर्यावरण शुद्ध बना रहे। अपनी जीवन शैली और सोच में बदलाव करे ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी स्वच्छ पर्यावरण मिल सके।
उन्होंने जोर देकर कहा की जल का संरक्षण, संवर्द्धन, एवं वर्षा जल और भूमिगत जल का रक्षण हो यह भी नितांत आवश्यक है।
मानस कथा व्यास संत मुरलीधर ने कहा की कथा को पर्यावरण को समर्पित कर महाराज जी ने जो संदेश दिया वह अद्भुत है। श्री राम कथा वीरता, पराक्रम, आदर्श और रामराज्य की स्थापना की कथा है स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने उसे पर्यावरण, राष्ट्र और नदियों से जोड़कर नया आयाम दिया है। उन्होने राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं का अभिनन्दन करते हुये कहा कि इस तरह की गर्मी में 9:30 बजे से आरम्भ होने वाली कथा के लिये प्रातःकाल 5:00 बजे से आकर बैठना वास्तव में बहुत बड़ा समर्पण और त्याग है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि एक माह से आप सभी माँ गंगा के जल में और मानस कथा में भी डुबकी लगा रहे थे। आप सभी ने कथा के मंच से प्रतिदिन पूज्य संतों और राष्ट्रभक्तों के संदेशों को सुना इसे माँ गंगा का प्रसाद समझकर अपने साथ लेकर जाये और दूसरों को भी बांटे।
इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कथा को दिव्य, भव्य और उत्कृष्ट बनाने में अपने तन, मन और धन से सहयोग करने वाले श्रद्धालुओं का अभिनन्दन किया। स्वामी जी ने सभी पूज्य संतों एवं विशिष्ट अतिथियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।